रंग जिन्दगी के: अध्याय 2: सुबह
क्यों सुबह हुई आज,
इजाजत नहीं थी आज।
किसी का इंतजार था,
जो आया नहीं आज।
नींद सिरहाने आई थी,
मगर सोया नहीं रात।
सवाल उठता रहता है,
कौन है उस पार।
जो आके मिलता नहीं,
कहके कितनी ही बार।
क्यों सुबह हुई आज,
इजाजत नहीं थी आज।